रायपुर

BSC Nursing Admission: NEET के बाद अब B.Sc नर्सिंग में घोटाला, 61 अयोग्य छात्रों को दिया एडमिशन, मचा हड़कंप

BSC Nursing Admission: जीरो परसेंटाइल एडमिशन के नियम के बावजूद प्रदेश के निजी कॉलेजों ने 61 अयोग्य लोगों को एडमिशन दे दिया था. अब चिकित्सा....

रायपुर,BSC Nursing Admission:  बीएससी नर्सिंग में प्रवेश के लिए जीरो परसेंटाइल के नियम के बावजूद प्रदेश के निजी कॉलेजों ने 61 अपात्र लोगों को प्रवेश दे दिया। अब चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इन्हें निरस्त कर दिया है। जिन छात्रों का प्रवेश रद्द कर दिया गया है वे कक्षाओं में भाग नहीं ले सकेंगे।

राज्य में सत्र 2023-24 के लिए एडमिशन इस साल 29 फरवरी तक हुए थे. इसके बाद डीएमई कार्यालय ने सभी कॉलेजों से प्रवेश लेने वाली छात्राओं की सूची मांगी थी। जब प्रत्येक प्रवेश (बीएससी नर्सिंग एडमिशन) की जांच की गई तो कई छात्राएं अपात्र पाई गईं। आयुक्त चिकित्सा शिक्षा ने यह जानकारी शुक्रवार को रजिस्ट्रार हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी और रजिस्ट्रार छत्तीसगढ़ नर्सिंग काउंसिल को भेज दी है।

BSC Nursing Admission: यह है मामला

बता दें कि पिछले साल 30 नवंबर तक बीएससी नर्सिंग में प्रवेश दिया गया। इसके ढाई माह बाद अचानक इंडियन नर्सिंग काउंसिल की अनुमति मिलने के बाद प्रवेश की आखिरी तारीख 29 फरवरी तय की गई। तब 2960 सीटें खाली थीं। इनमें 2101 सीटों पर एडमिशन हो गया और 859 सीटें खाली रह गईं। ये स्थिति जीरो परसेंटाइल से एडमिशन के बाद रही।

जीरो परसेंटाइल का मतलब ये है कि जिन छात्राओं ने व्यापमं के प्री नर्सिंग टेस्ट में शून्य अंक भी पाया है तो वह एडमिशन के लिए पात्र होगा। निजी नर्सिंग कॉलेजों ने एकजुट होकर जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने की मांग की थी। जबकि तत्कालीन डीएमई डॉ. विष्णु दत्त ने यह मांग ठुकरा दी थी। उन्होंने शासन के एक आदेश का हवाला दिया था, जिसमें जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने से नर्सिंग की क्वालिटी पर असर पड़ने की बात कही गई थी। इसके बाद कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन ने डीएमई के पत्र को परे रखते हुए शासन की अनुमति पर जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने की मंजूरी दे दी।

सभी 2960 सीटें अनारक्षित थीं इसलिए 50 फीसदी अंक जरूरी

तीन काउंसिलिंग के बाद भी सीटें खाली रहने पर बची 2960 सीटें अनारक्षित कर दी गई थीं। इसमें जनरल केटेगरी की छात्राओं को 12वीं में 50 फीसदी अंक अनिवार्य था। प्री नर्सिंग टेस्ट में जीरो परसेंटाइल के बाद भी एडमिशन तय था, लेकिन वे बारहवीं के नंबर के आधार पर पिछड़ गईं। कॉलेजों ने ऐसी छात्राओं को जान बूझकर प्रवेश दिया। ये तो अच्छी बात रही कि डीएमई कार्यालय के अधिकारियों की नजर इस पर पड़ गई और सभी का एडमिशन निरस्त कर दिया गया।

अप्रैल में बन गई थी सूची आचार संहिता में अटकी

जिन छात्राओं का एडमिशन निरस्त किया गया है, उनकी सूची अप्रैल में बन गई थी। वहीं सभी प्रवेशित छात्रों की जांच भी हो गई थी। लेकिन कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन ने 28 जून को यह आदेश निकाला। चूंकि आदेश अभी निकला है इसलिए सभी छात्र कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं। जून में एडमिशन निरस्त (BSC Nursing Admission) होने से उनके सामने अजीब स्थिति पैदा हो गई है। अपात्र होते हुए भी उन्हें एडमिशन देना, कॉलेज व छात्रों, दोनों की लापरवाही है। हैल्थ साइंस विवि में इन छात्रों का नामांकन भी हो गया है। ऐसे में परीक्षा की तैयारी भी कर रही थीं।

Pooja Singh

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार हूं।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर).

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