CBSC Board New Update: सीबीएसई ने 11वीं और 12वीं कक्षा के परीक्षा पैटर्न में बदलाव करने का फैसला
सीबीएसई द्वारा जारी नया परीक्षा पैटर्न शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से लागू कर दिया गया है सीबीएसई का कहना है कि अब से 11वीं और 12वीं कक्षा में दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों की जगह कॉन्सेप्ट आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे
नई दिल्ली,Cbse Board New Update: सीबीएसई ने 11वीं और 12वीं कक्षा के परीक्षा पैटर्न में बदलाव करने का फैसला किया है। इस बदलाव के तहत परीक्षाओं से दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों को हटाने का निर्णय लिया गया है. शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस बदलाव का मूल उद्देश्य बच्चों में उत्तर याद रखने की प्रवृत्ति को खत्म करना और सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है।
सीबीएसई द्वारा जारी नया परीक्षा पैटर्न शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से लागू कर दिया गया है
सीबीएसई का कहना है कि अब से 11वीं और 12वीं कक्षा में दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों की जगह कॉन्सेप्ट आधारित प्रश्न पूछे जाएंगे। इसके साथ ही सीबीएसई का यह भी कहना है कि यह बदलाव केवल 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए लागू है। कक्षा 9वीं और 10वीं के परीक्षा पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया गया है |
सीबीएसई के मुताबिक
11वीं और 12वीं कक्षा के परीक्षा पैटर्न में किया गया बदलाव नई शिक्षा नीति 2020 पर आधारित है। नई शिक्षा नीति के अनुसार परीक्षा पैटर्न में सुधार किया गया है। सीबीएसई के निदेशक जोसेफ इमैनुएल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, सीबीएसई ने स्कूलों में दक्षता-आधारित शिक्षा का उपयोग करने के लिए कदम उठाए हैं। इसमें शिक्षकों और छात्रों के लिए योग्यता-आधारित मूल्यांकन और अनुकरणीय संसाधनों का विकास शामिल है।
जोसेफ इमैनुएल ने कहा कि सीबीएसई स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐसा इको सिस्टम बना रहा है
जिसका उद्देश्य याद करना नहीं बल्कि सीखने पर जोर देना है. इस नए इकोसिस्टम के जरिए छात्रों की रचनात्मक सोच और क्षमताओं का विकास किया जाएगा, ताकि वे 21वीं सदी की चुनौतियों से निपट सकें।
गुरुवार शाम को इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए
सीबीएसई बोर्ड ने कहा कि बहुविकल्पीय प्रश्नों यानी एमसीक्यू और दक्षता आधारित प्रश्नों की संख्या 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दी गई है. जबकि लघु एवं दीर्घ उत्तरीय सहित अन्य प्रश्नों का प्रतिशत 40 से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। परीक्षा पैटर्न में किए गए बदलाव को लेकर सीबीएसई का यह भी कहना है कि इस बदलाव का एक उद्देश्य यह पता लगाना है कि स्कूली छात्र वास्तविक जीवन में विभिन्न अवधारणाओं को कितना समझने में सक्षम हैं।