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Kedarnath IMD Weather Forecast: केदारनाथ पर फिर मंडरा रहा है प्राकृतिक खतरा, IMD ने जारी किया रेड अलर्ट….

Kedarnath IMD Weather Forecast: आपको 2013 की उत्तराखंड त्रासदी तो याद ही होगी. केदार घाटी में भयंकर तबाही मची थी. 10 साल बाद एक बार फिर केदार घाटी पर प्राकृतिक खतरा मंडरा रहा है. आइये जानते हैं कैसे?

उत्तराखंड, Kedarnath IMD Weather Forecast: उत्तराखंड में आपदाओं का एक लंबा इतिहास है। खासकर मानसून आते ही देवभूमि पर खतरा मंडराने लगता है। 2013 की केदारनाथ बाढ़ को लोग भूले नहीं हैं. इस बार फिर उत्तराखंड में भारी बारिश (Kedarnath IMD Weather Forecast) के आसार हैं. उत्तराखंड में जल्द ही मानसून प्रवेश करने वाला है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इसे लेकर रेड अलर्ट जारी किया है. तो आइए जानते हैं कि चार धामों में से एक केदारनाथ क्यों चर्चा में है?

IMD ने जारी किया रेड अलर्ट (Kedarnath IMD Weather Forecast)

मौसम विभाग की भविष्यवाणी के मुताबिक मानसून तेजी से उत्तराखंड की ओर बढ़ रहा है। अगले कुछ दिनों में उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर समेत कई हिमालयी राज्यों में भारी बारिश की आशंका है. आईएमडी के मुताबिक कुछ जगहों पर बादल फटने की भी आशंका है. वहीं, खासकर उत्तराखंड में भारी बारिश से भूस्खलन और बाढ़ आ सकती है। शायद यही वजह है कि आईएमडी ने उत्तराखंड के लिए रेड अलर्ट जारी किया है. साथ ही मौसम विभाग केदारनाथ के आसपास की झीलों का भी अध्ययन कर रहा है. इससे साफ है कि केदार घाटी में खतरा ज्यादा है।

झीलों की स्टडी में जुटा IMD

आपको बता दें कि केदारनाथ मंदिर से करीब 4000 मीटर की ऊंचाई पर कई बर्फीली झीलें हैं। मौसम विभाग इन झीलों की ऊंचाई, गहराई और पानी की मात्रा की जांच कर रहा है. ताकि भारी बारिश में झील टूटने या बादल फटने जैसी घटनाओं का पहले से ही अनुमान लगाया जा सके. 30 जून को भी केदारनाथ मंदिर के पीछे सुमेरू पर्वत पर हिमस्खलन देखा गया था।

चोराबाड़ी झील था 2013 की त्रासदी का मुख्य कारण

गौरतलब है कि चोराबाड़ी झील 2013 की त्रासदी का मुख्य कारण थी। जी हां, चोराबाड़ी झील पर बादल फटने से झील पानी से भर गई। पानी की अधिकता के कारण झील टूट गई और उसका सारा पानी मंदाकिनी नदी में बहने लगा। मंदाकिनी नदी ने रौद्र रूप धारण कर पूरी केदार घाटी को तबाह कर दिया। इस हादसे में 6000 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों लोग लापता हो गए।

हरिद्वार तक होगा असर

मंदाकिनी नदी का कुल जलग्रहण क्षेत्र 67 वर्ग किलोमीटर है। इसमें चोराबाड़ी और कंपेनियन ग्लेशियर समेत कई बड़े ग्लेशियर हैं। ऐसे में अगर केदार घाटी में कोई घटना घटती है तो इसका असर हरिद्वार तक पहुंच सकता है. 2013 में आई त्रासदी ने चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और केदार घाटी को पूरी तरह तबाह कर दिया था. अनुमान है कि इस आपदा में लगभग 10 हजार लोग मारे गये।

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