रायपुर

Lawrence-Aman’s gang: आतंकियों की तरह गैंगस्टरों ने अपना ‘स्लीपर सेल’ तैयार कर रखा है, ये पेशेवर अपराधी नहीं हैं, काम मिलने पर टारगेट किलिंग करते हैं.

Lawrence-Aman's gang: झारखंड में सड़क बना रहे रायपुर के एक कारोबारी को डराने के लिए दो नकाबपोश शूटरों ने उनके दफ्तर के बाहर फायरिंग की थी.....

रायपुर, Lawrence-Aman’s gang:  आतंकियों की तरह गैंगस्टरों ने भी अपने ‘स्लीपर सेल’ तैयार कर लिए हैं. इससे जुड़े गुर्गे आम लोगों की तरह हमारे बीच रहते हैं. ये पेशेवर अपराधी नहीं हैं, लेकिन नौकरी मिलते ही टारगेट किलिंग से भी नहीं कतराते। 13 जुलाई को राजधानी में कारोबारी प्रह्लाद अग्रवाल के दफ्तर के बाहर फायरिंग की गई थी। आठ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस फायरिंग की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई और अमन साहू के गैंग से जुड़े अमन सिंह ने ली है.

Lawrence-Aman’s gang: झारखंड में सड़क बना रहे रायपुर के कारोबारी प्रह्लाद को डराने के लिए

दो नकाबपोश शूटरों ने उनके दफ्तर के बाहर फायरिंग की थी। इसके बाद वहां से फरार हो गए। इनकी तलाश में पुलिस की 10 टीमें दिल्ली, पंजाब, झारखंड, उत्तरप्रदेश में छापामार कार्रवाई कर रही है।अब तक शूटआउट की सुपारी लेने वाले पंजाब के अमनदीप सहित उसके आठ साथियों को गिरफ्तार किया गया है। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस अब शूटरों की पतासाजी करने में जुटी है। तीन दिन पहले पुलिस ने शूटरों को पिस्टल उपलब्ध करवाने वाले को गिरफ्तार किया है।

हरियाणा, पंजाब में भी लारेंस-अमन का गैंग

लारेंस और अमन साहू ने झारखंड के बाद अब गैंग का विस्तार किया है। ऐसे में इन्होंने हरियाणा और पंजाब में वसूली, फिरौती और अपहरण का काम करने वालों को गैंग में शामिल किया है। सभी मिल कर वारदात कर रहे हैं।

चार्जशीट में ‘स्लीपर सेल’ शब्द का किया गया है उल्लेख

जयपुर की जवाहर सर्किल थाना पुलिस ने जी-क्लब फायरिंग मामले में कुछ दिन पहले चार्जशीट पेश की थी। पहली बार अदालत में दाखिल चार्जशीट में ‘स्लीपर सेल’ शब्द का खासतौर पर उल्लेख किया गया है। यह पहली बार है कि गैंग द्वारा ‘स्लीपर सेल’ बनाने की बात कही गई है। वरना आतंकियों या आतंकी गैंग से जुड़े मामले में ही स्लीपर सेल का उल्लेख होता रहा है।

Pooja Singh

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार हूं।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर).

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