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Naxal Encounter: धमतरी के उदंती सीतानदी के जंगल में मुठभेड़, जवानों की फायरिंग में जान बचाकर भागे नक्सली

छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के उदंती सीतानदी के टांगरीडोंगरी जंगल में डीआरजी पुलिस जवानों और एसटीएफ जवानों की संयुक्त टीम और नक्सलियों के बीच काफी देर तक मुठभेड़ हुई. मुठभेड़ में किसी भी तरह की कोई हताहत नहीं हुई है.

धमतरी, Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ नक्सली मुठभेड़: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के उदंती सीतानदी के टांगरीडोंगरी जंगल में नक्सलियों और डीआरजी पुलिस जवानों और एसटीएफ जवानों की संयुक्त टीम के बीच काफी देर तक मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में किसी भी तरह की कोई हताहत नहीं हुई है. जब पुलिस टीम ने नक्सलियों पर काबू पाया तो नक्सली भाग निकले. इस घटना के बाद इलाके में पुलिस जवानों की सर्चिंग तेज हो गई है. फिलहाल नगरी, ओडिशा और मैनपुर रोड में सन्नाटा पसरा हुआ है |

नक्सली डीएसपी आरके मिश्रा से मिली जानकारी के मुताबिक

12 अप्रैल को पुलिस को उदंती सीतानदी के टांगरीडोंगरी जंगल क्षेत्र में 25 से 30 नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी. तत्काल धमतरी डीआरजी, गरियाबंद डीआरजी पुलिस जवानों और एसटीएफ जवानों की एक संयुक्त टीम बनाई गई। नक्सलियों को पकड़ने के लिए पुलिस और फोर्स की संयुक्त टीम शाम को ही उदंती सीतानदी के टांगरीडोंगरी जंगल में घुस गई |

नक्सली होने की भनक लगते ही पुलिस और नक्सलियों की संयुक्त टीम के बीच फायरिंग शुरू हो गई

इसी बीच जब पुलिस जवानों की टीम ने नक्सलियों पर काबू पाया तो नक्सली वहां से भाग गये. घटना के बाद पुलिस कर्मियों ने घटना स्थल और आसपास के इलाकों की तलाशी ली. इस मुठभेड़ में कोई हताहत नहीं हुआ है, लेकिन घटना के बाद इलाके के जंगल में पुलिस और फोर्स की सर्चिंग तेज कर दी गई है.

बोराई इलाका है नक्सलियों का मुख्य गलियारा

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही बस्तर में फोर्स का दबाव बढ़ने के कारण उड़ीसा और धमतरी सीमा क्षेत्र में नक्सलियों का मूवमेंट शुरू हो जाता है, क्योंकि यह नक्सलियों के लिए बस्तर में प्रवेश का मुख्य गलियारा है. लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले इलाके में नक्सलियों के आने की खबर से इलाके के लोगों में दहशत है. नक्सली मुठभेड़ के बाद मेचका थाना, बोराई, बिरनासिल्ली इलाके में सीआरपीएफ के जवान सक्रिय हो गये हैं.

Pooja Singh

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार हूं।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर).

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