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Train Accident Conspiracy: बड़े रेल हादसे की साजिश…मिठाई के डिब्बे में मिला बारूद,कन्नौज की मिठाई की दुकान का है डिब्बा, जांच में जुटी पुलिस

Train Accident Conspiracy: उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक बड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां ट्रेन हादसे की साजिश रची गई...

कानपुर,Train Accident Conspiracy: उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक बड़ी खबर सामने आई है. यहां ट्रेन हादसा कराने की साजिश रची गई थी. रविवार रात शिवराजपुर क्षेत्र में अनवरगंज-कासगंज मार्ग पर रेलवे लाइन पर किसी ने गैस सिलेंडर रख दिया था। इंजन के सिलेंडर से टकराते ही जोरदार धमाका हो गया। फिलहाल किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है. घटनास्थल पर पेट्रोल से भरी बोतल, माचिस और एक संदिग्ध झोला मिला है। उसमें बारूद और माचिस रखा हुआ था।

Train Accident Conspiracy:  कानपुर रेल हादसे में मिठाई के डिब्बे में मिला बारूद.

आपको बता दें कि कानपुर रेल हादसे में जिस मिठाई के डिब्बे में बारूद मिला था, वह कन्नौज के छिबरामऊ सियाराम मिठाई स्वीट्स का बताया जा रहा है. जिसके बाद पुलिस टीम सियाराम मिष्ठान भंडार पर पहुंची. पुलिस डीबीआर भी अपने साथ ले गयी. हालांकि पुलिस इस मामले की बारीकी से जांच कर रही है.मिली जानकारी के अनुसार सरजापुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत रविवार देर श्याम करीब 8:30 बजे के आसपास कानपुर से भिवानी जा रही कालिंद्री एक्सप्रेस 14117 ने जैसे ही मुंडेरी क्रॉसिंग को पार किया वैसे ही एक एलपीजी सिलेंडर ट्रेन से टकरा गया। काफी तेज धमाका होने पर लोको पायलट ने ट्रेन को तुरंत वहीं पर रोक दिया। बताया जा रहा है कि इस हादसे के बाद करीब आधे घंटे तक ट्रेन खड़ी रही वही लखनऊ से बांद्रा टर्मिनस के लिए जा रही लखनऊ बांद्रा एक्सप्रेस को बिल्हौर स्टेशन पर ही रोक दिया गया।

हादसे के बाद चालक ने तत्काल इसकी सूचना रेलवे के कर्मचारियों को दी सूचना मिलते ही रेलवे के अवसर और कमिश्नरेट पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे। डीसीपी वेस्ट राजेश कुमार सिंह ने जब घटनास्थल के आसपास निरीक्षण शुरू किया तो महज कुछ दूरी पर ही पुलिस को एक एलपीजी सिलेंडर और उसके बाद कुछ दूरी पर माचिस और पेट्रोल की बोतल भी बरामद हुई। पुलिस ने फॉरेंसिक टीम की मदद से इन सभी चीजों को खर्चे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है इसके साथ ही पुलिस ने इस मामले की जांच पड़ताल की शुरू कर दी है।

Pooja Singh

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार हूं।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर).

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