मध्य प्रदेश

MP CM Helpline: उज्जैन की 10149 शिकायतें लंबित हैं, 4000 शिकायतें 50 दिन से ज्यादा पुरानी हैं

MP CM Helpline: सरकार ने 7 से 45 दिनों के भीतर शिकायतों का समाधान करना अनिवार्य कर दिया है, लेकिन कई शिकायतें अभी भी लंबित हैं। उज्जैन के....

उज्जैन,MP CM Helpline:  सीएम हेल्पलाइन मुख्यमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता वाले कार्यों में से एक है, लेकिन अफसरों की उदासीनता के कारण मुख्यमंत्री के गृहनगर में ही यह बेहाल है। इसका प्रमाण यह है कि सीएम हेल्पलाइन नंबर 181 पर उज्जैन में लंबित शिकायतों की संख्या दो, पांच, दस नहीं बल्कि 10,149 है। चार हजार शिकायतें ऐसी हैं जो 50 दिन से ज्यादा पुरानी हैं।

MP CM Helpline:  20 दिन में सिर्फ 313 शिकायतों का निराकरण

इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें राजस्व, पुलिस, नगर निगम और महिला एवं बाल विकास विभाग की हैं। शिकायतों के निस्तारण की स्थिति जांचने पर पता चला कि अधिकारी पिछले 20 दिनों में केवल 313 लंबित शिकायतों का ही निस्तारण कर पाए हैं। शिकायतों के निराकरण के मामले में प्रदेश के बड़े शहरों की सूची में उज्जैन का स्थान बी ग्रेड के साथ तीसरा है।

जनता सोचती है कि CM तक बात पहुंच गई

सीएम हेल्पलाइन को लेकर जनता में यह भावना है कि इस हेल्पलाइन पर शिकायत कर दी जाए तो सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंच जाएगी और अफसर काम कर देंगे। किंतु उज्जैन का प्रशासनिक अमला इस भावना पर पलीता लगा रहा है।

सर्वविदित है कि सुशासन की स्थापना के उद्देश्य से मध्य प्रदेश सरकार ने सुदूर ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों की समस्याओं का त्वरित निराकरण करवाने के लिए सीएम हेल्पलाइन नंबर 181 पर फोन करने या वेबसाइट के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की सुविधा 31 जुलाई 2014 से प्रारंभ की है।इसके माध्यम से कई लोगों ने समस्याओं का हल भी पाया है, मगर कई ऐसे भी हैं, जिनकी शिकायतों का हल करने में अफसरों ने देरी की या विशेष कारणों से हल ही नहीं कर पाए। परिणामस्वरूप शिकायतों का ग्राफ बढ़ता चला गया। मुख्यमंत्री के गृह जिले में शिकायतों की संख्या बढ़ना और तत्काल समाधान ना होना सुशासन के उद्देश्य पर प्रश्न उठाता है।

अधिकतम 45 दिन है समय सीमा

शासन ने शिकायतों के प्रकार और व्यवस्था के अनुरूप तय किया था कि अधिकतम सात से 45 दिनों में शिकायतों का निराकरण करना अनिवार्य होगा। ताजा रिपोर्ट के अनुसार उज्जैन नगर निगम की सफाई से जुड़ी 200, पेयजल से जुड़ी 97, विद्युत से जुड़ी 87, भवन निर्माण अनुज्ञा से जुड़ी 53, सीवरेज से जुड़ी 35, स्थाई अतिक्रमण से जुड़ी 62 और सिविल कार्य से जुड़ी 81 शिकायतें लंबित हैं। पोर्टल पर लाड़ली बहना योजना, आवास योजना, प्रसूति सहायता और मनरेगा की राशि ना मिलने की भी ढेरों शिकायतें हैं।

कुछ प्रमुख विभाग की लंबित शिकायतों का आंकड़ा

  • राजस्व विभाग – 1582
  • पुलिस विभाग – 1324
  • महिला बाल विकास – 1007
  • ऊर्जा विभाग – 676
  • विक्रम विश्वविद्यालय – 118
  • जिला अस्पताल – 161
  • स्मार्ट सिटी लिमिटेड – 13
  • लोक निर्माण विभाग – 77
  • महाकाल मंदिर – 5

कलेक्टर की चेतावनी भी बेअसर

उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों का निदान समय सीमा में करने के लिए हर सप्ताह विभाग जिला प्रमुखों को चेतावनी देते रहे हैं। लापरवाही पर उन्होंने कृषि विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी ग्रामीण विभाग के अफसरों को निलंबित भी किया है। इसके बावजूद लंबित शिकायतों का ग्राफ बढ़ना बताता है कि यह चेतावनी बेअसर साबित हो रही है।

Pooja Singh

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार हूं।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर).

Related Articles

Back to top button