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Politics On Mahtari Vandan Yojana: छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना पर सियासत तेज, पूर्व मंत्री डहरिया बोले – कई महिलाओं को अब नहीं मिल रहा महतारी वंदन का लाभ,..

Politics On Mahtari Vandan Yojana: महतारी वंदन योजना पर गरमाई सियासत, मंत्री चौधरी ने हकीकत जानने के लिए भूपेश बघेल को गांव आने का दिया न्योता, पूर्व मंत्री डहरिया बोले- कई महिलाओं को अब नहीं मिल रही महतारी वंदन की राशि.

छत्तीसगढ़, Politics On Mahtari Vandan Yojana: छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना को लेकर सियासत (Politics On Mahtari Vandan Yojana) तेज हो गई है. ऐसे में वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपने गांव में आमंत्रित किया है. उन्होंने कहा, 70 लाख माताओं-बहनों को हर महीने 1000 रुपए मिलने से भूपेश बघेल के पेट में दर्द हो रहा है. अगर वह उनके गांव में जाएं और उनसे हाथ उठाने के लिए कहें तो कितने लोग हाथ उठाएंगे. इसे भूपेश बघेल स्वयं जाकर देख सकते हैं. वहीं पूर्व मंत्री शिव कुमार डहेरिया ने महतारी वंदन योजना को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, सरकार को उन लोगों की सूची जारी करनी चाहिए जिन्हें महतारी वंदन की राशि जारी की जा रही है।

कांग्रेस सरकार की तुलना में कई गुना होंगी भर्तियां  (Politics On Mahtari Vandan Yojana)

मंत्री ओपी चौधरी ने कहा, कांग्रेस सरकार बनने से पहले घोषणा पत्र में महिलाओं को हर महीने 500 रुपये देने का वादा किया गया था. पांच साल तक किसी को 5 रुपए भी नहीं दिए। हमारी सरकार में महिलाओं को 1000 रुपए प्रति माह मिल रहे हैं। पीएससी घोटाले की जांच पर वित्त मंत्री ने कहा, कांग्रेस राज में पीएससी में माफिया राज था. हमारी सरकार की प्राथमिकता भर्तियों में अनियमितता खत्म करना है। हमने सीबीआई जांच का वादा किया था, जांच हो रही है. आने वाले पांच वर्षों में कांग्रेस सरकार की तुलना में कई गुना अधिक भर्तियां होंगी।

भाजपा सरकार में बिगड़ी प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधा : डहरिया

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी ने कहा है कि 5 साल में मलेरिया का खात्मा हो जाएगा. इस संबंध में पूर्व मंत्री शिव कुमार डहेरिया ने कहा, जब हमारी सरकार थी, तब मलेरिया उन्मूलन के लिए काफी काम किया गया था. अब इलाज के अभाव में लोग मर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बेहद खराब हो गई है। दूरदराज के इलाकों में डॉक्टर और दवाइयां नहीं हैं. यहां के सबसे बड़े अंबेडकर अस्पताल में खून की जांच के लिए रिएजेंट नहीं हैं। राजधानी में यह हाल है तो ग्रामीण इलाकों की स्थिति आप समझ सकते हैं।

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