Chhattisgarh Naxal Surrender: सुकमा में पांच महिलाओं समेत 11 नक्सलियों ने किया सरेंडर, एक के सिर पर था 1 लाख रुपये का इनाम

Chhattisgarh Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ के सुकमा के कोंटा इलाके के अंदरूनी गांव के 11 नक्सली संगठन छोड़कर मुख्यधारा में लौट आए हैं. इनमें से पांच महिलाएं हैं. ये सभी आदिवासी समुदाय से हैं. वह सरकार की पुनर्वास नीति और नियाद नेला नार योजना के माध्यम से गांव में किये जा रहे विकास कार्यों से प्रभावित थे।

Chhattisgarh Naxal Surrender:

छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के अंदरूनी इलाके में नक्सली बंदूक की नोक पर आदिवासियों पर दबाव बनाते हैं और उन्हें संगठन में भर्ती करते हैं. वे गांव के भोले-भाले आदिवासी समुदाय के लोगों को भ्रमित कर उनके हाथ में बंदूक थमा देते हैं। अब सुरक्षा बलों के बढ़ते प्रभाव के कारण नक्सली बैकफुट पर हैं और इससे अंदरूनी इलाकों के आदिवासी समुदायों को समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का साहस मिल रहा है.

विश्व आदिवासी दिवस के दिन कोंटा इलाके के अंदरूनी गांवों के 11 नक्सली संगठन छोड़कर मुख्यधारा में लौट आये हैं. इनमें से पांच महिलाएं हैं. ये सभी आदिवासी समुदाय से हैं. वह सरकार की पुनर्वास नीति और नियाद नेला नार योजना के माध्यम से गांव में किये जा रहे विकास कार्यों से प्रभावित थे।

इस कारण नक्सलियों ने लाल आतंक छोड़ दिया

जैसे ही नक्सलियों का दबाव कम हुआ तो संगठन में निचले स्तर पर सक्रिय इन नक्सलियों ने बंदूक की जगह विकास का रास्ता चुना और पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें नक्सली गोलापल्ली एलओएस सदस्य सोदी भीमे, पिता सोदी सोमा, रसाटोंग पंचायत डीएकेएमएस सदस्य पोडियाम हुंगा, पिता स्व. एर्रा, रसाटोंग पंचायत केएएमएस सदस्य मदकम पिता भीमा, ओयम जोगी पति ओयम हुंगा,अरलमपल्ली पंचायत स्कूल समिति के अध्यक्ष दूधी हांडा पिता हड़मा, पलाचलमा पंचायत मिलिशिया सदस्य पदम कोसी पिता पदम केशा, अरलमपल्ली आरपीसी DAKAMS के उपाध्यक्ष मदकम देवे पिता स्व. हिड़मा, कोराजगुड़ा आरपीसी मिलिशिया सदस्य मडवी सन्ना पुत्र देवा, वेट्टी भीमा पुत्र देवा, वेक्को आयता पुत्र हुंगा, डुलेड़ आरपीसी मिलिशिया सदस्य मडकामी बुधु पुत्र जुन्नु। उन्हें ‘छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन एवं पुनर्वास नीति’ से सहायता एवं अन्य सुविधाएं दी जाएंगी।

सुकमा में 200 से ज्यादा नक्सलियों ने किया सरेंडर

अब तक 200 से ज्यादा ने किया सरेंडर: पुलिस के मुताबिक, जिले में इस साल अब तक 200 से ज्यादा नक्सली सरेंडर कर चुके हैं. अंदरूनी इलाकों में लगातार नए कैंप स्थापित और संचालित करने के बाद नक्सली बैकफुट पर हैं. पूर्वी, दुलेड़ जैसे दूरदराज के इलाकों में सुरक्षा बलों ने कैंप लगाए हैं. इन कैंपों से लगातार अभियान चलाया जा रहा है. इसके साथ ही नेयाद नेला नार योजना और सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीणों का सुरक्षा बलों पर भरोसा बढ़ा है।

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