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IIIT Raipur: विभिन्न भर्तियों में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते आईआईआईटी के कुलपति ने दिया इस्तीफा, जानिए पूरी मामला….

विभिन्न भर्तियों में अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते आईआईआईटी के कुलपति और निदेशक पीके सिन्हा ने दिया इस्तीफा

नया रायपुर, IIIT Raipur: IIIT नया रायपुर के डायरेक्टर, कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार सिन्हा को हटाने की मांग को लेकर संस्थान के सभी शैक्षणिक-अशैक्षणिक कर्मचारी और छात्र-छात्रओं ने बड़ा प्रदर्शन किया था. डायरेक्टर पर कई सारे आरोप भी लगाए थे. कर्मचारियों के मुताबिक, कई वर्षों से संस्थान में भारी आर्थिक अनियमतता हो रही थी., भर्ती घोटला, सरकारी संसाधनों के दुरूपयोग, संस्थान के एक्ट की अनदेखी, अपने चहेतों को लाभ देने के लिए मनमाने ढंग के नियमो में तोड़मरोड़ और गड़बड़ी करने, केवल अपने चहेतों के वेतन विसंगतियों को दूर करने, कर्मचारियों के प्रमोशन को जानबूझकर विलंबित करने और अपने चहेतों के लिए नियम विरुध्द नए नए नियम बनाकर लाभ देने की कोशिश करने समेत कई आरोप लगाए गए थे. छात्र-छात्राएं संस्थान को UGC द्वारा डिफाल्टर घोषित किए जाने सहित डायरेक्टर के अनुचित व्यवहार से नाराज चल रहे थे.

कर्मचारियों ने कुलपति के खिलाफ किया था प्रदर्शन

हाल ही में जैसे ही संस्थान के निदेशक ने कर्मचारियों के लिए नए भर्ती नियम लाए तो संस्थान के सभी कर्मचारी आक्रोशित हो गए और पिछले 48 घंटे से निदेशक कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए, लेकिन संस्थान प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण पहले अकादमिक और फिर संस्थान के सभी छात्र भी आक्रोशित हो गये और सभी ने एक स्वर में निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार सिन्हा को हटाने की मांग उठायी.

बता दें कि हाल ही में निदेशक ने नियुक्ति नियमों में जो पद रिक्त किये थे. अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए रजिस्ट्रार और सीएफएओ शैक्षिक की तरह। उन्होंने अपने पसंदीदा अधिकारी का संविदा कार्यकाल 5 वर्ष तक बढ़ा दिया, जो अधिनियम के विरुद्ध था। एक संस्थान में तीन संविधान बनाकर संस्थान के कर्मचारियों को विभाजित कर दिया गया

। आरक्षण नियमों के विरुद्ध भर्ती समेत कई बदलाव कर कर्मचारियों को परेशान करने की साजिश रची गई, ताकि अगर कर्मचारी निदेशक के खिलाफ आवाज उठाएं तो उन्हें परेशान कर उनका भविष्य खराब किया जा सके। इसके अलावा हर विषय को राज्य शासन का बताकर संस्थान के कर्मचारियों और छात्रों के बीच राज्य शासन को बदनाम करने और सरकार की छवि खराब करने का भी प्रयास किया जा रहा था. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सभी ने एक स्वर से राजभवन और राज्य सरकार से डॉ. प्रदीप कुमार सिन्हा को अविलंब राहत देने की मांग की.

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